Weekly Devotional

By Max Lucado
Dependable people are like diamonds. They are precious because they are so rare. Experience and know-how are great assets, but they are not much good without trustworthiness. Talent is wonderful, but by itself its not enough. Far better to be a faithful christian. Are you? Like Timothy and Epaphroditus , are you a role model for others? Determine to be a person others can rely on. Keep your word. Show up. Be consistent. Live for others. Take risks . Be a "go to" guy or gal. Make it your goal, by God's grace, to exemplify a life of spiritual steadiness.

प्रेम व्यवस्था को पूरा करता है

प्रेम व्यवस्था को पूरा करता है

अफ्रीका मैं कैमरून से कबुइन यहोशू ने मुझे मत्ती रचित सुसमचर 5:17-20 के बारे में सिखाने के लिए कहा। तो यहाँ मैं जो मानता हूँ कि यीशु हमें ये बता रहे थे।

पुराने नियम में परमेश्वर ने मनुष्य को आज्ञाओं और नियमों को पालन करके जीने का एक तरीका बता दिया है ताकि मनुष्य ने परमेश्वर का ऊपर कैसा विश्वास रखन सीखें! लेकिन ये सभी भविष्यवाणियाँ यीशु ने दुनिया में जो उद्धार लाया है उसकी बारे में बता दिया। और हम परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत संबंध रख के हमारे ह्रदय के अंदर परमेश्वर रहने के लिए हम एक मंदिर बन जाते हैं। यीशु मसीह के द्वारा जो परमेश्वर ने मनुष्य का रूप में इस दुनिया में आया। लेकिन अभी भी वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर हैं।

जैसा दस आज्ञाओं को पढ़ते हैं, यह सबसे पहले अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करने के बारे में बताता है, शुरुआत में परमेश्वेर का ऊपर विश्वास रख के हम जीना हैं, फिर अपने विश्वास में परमेश्वेर के लिए कैसे जीना, एक दूसरों के साथ प्रेम से कैसे व्यवहार करना हम को मालूम हो जाता हैं!❤️!

प्रभु यीशु मसीह इस धर्ती में व्यवस्था को समाप्त करने नहीं आया, बल्कि उसे पूरा करने के लिये आये। अब हम यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध बनाकर, उद्धार और पवित्र आत्मा अपने हृदय के अंदर निवास करके हमारी अगुवाई करने के द्वारा व्यवस्था को पूरा करते हैं। परमेश्वर के द्वारा दी गई व्यवस्था और आज्ञाओं को यीशु मसीह के प्रेम के द्वारा पूरी हुईं हैं।

एक महत्वपूर्ण बात को हममें से प्रत्येक को दिशानिर्देश के लिए 19 वचन में दिया गया है: यदि हम यह अपेक्षा करते हैं कि हमारे आस-पास के लोग हमारा लिए तालियाँ बजाएँगे और हमारी प्रशंसा करेंगे, तो हम मसीह का अनुसरण नहीं कर रहे हैं! हम परमेश्वर का काम अपनी महिमा के लिए नहीं करना है । हम केवल प्रभु की महिमा के लिए काम करते हैं!

"जो कोई परमेश्वर का आज्ञाओं का पालन करता और सिखाता है, वह स्वर्ग के राज्य में महान कहलाएगा।"

परमेश्वर यीशु मसीह ने 20 वचन में आज की कलीसियाओं की स्थिति का बारेमे वर्णन किया है! "क्योंकि मैं तुम से कहता हूं, कि यदि तुम्हारी धामिर्कता शास्त्रियों और फरीसियों की धामिर्कता से बढ़कर न हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में कभी प्रवेश करने न पाओगे।"

आज की कलीसियाओं में ऐसी परम्पराएँ स्थापित कर दी हैं जो परमेश्वर के वचन के अनुसार नहीं हैं, हमें परमेश्वर से भी अधिक महत्वपूर्ण बनाना चाहती हैं, और परमेश्वेर से भी भड़कर आदर और सन्मान हमको देने के लिये चाहता है, हमारे घमंडी और अहंकार को बढ़ाना चाहती हैं, और प्रभु यीशु मसीह को अपमान करने के लिये चाहती हैं....... आप सभी ने प्रभु के सम्पूर्ण रीति से समर्पित करने का आवश्यकता नहीं है, प्रभु के सारे आज्ञाओं को पालन करने का जरुरत नहीं है ऐसा वे गलत शिक्षा दे रहे है। हम अपने चर्च में जैसा करनेके लिए सिखाई हैं, उन आज्ञाओं के अनुसार करो ऐसा बोलके गलत रास्ता में लेके जा रहा है।

इस वजह से, लोग विश्वास का दावा तो करते हैं, लेकिन नया जनम के अनुभव में प्रवेश किए बिना व्यर्थ हो जा रहा हैं। " यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं।" परन्तु इन झूठी शिक्षाओं के कारण, बहुत लोग मसीह में मिलने वाले सच्चे आनन्द, शांति और सौभाग्यता को नहीं पा रहा है।
 

भाई स्टीवन, यू.एस.ए. 

pursuingjesusinc.blogspot.com

No comments: